फिल्म ‘देवरा: पार्ट 1’ लंबे समय से चर्चाओं में थी और फैंस को जूनियर एनटीआर और सैफ अली खान की इस फिल्म से काफी उम्मीदें थीं। हालांकि, फिल्म के निर्देशन, एक्शन और परफॉर्मेंस में कुछ खासियाँ हैं, लेकिन कहानी के कमजोर पक्षों ने दर्शकों को पूरी तरह से प्रभावित नहीं किया।
कहानी एक आतंकी हमले के डर और तस्करी की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसमें देवरा (जूनियर एनटीआर) और भैरा (सैफ अली खान) के बीच की खींचतान को दिखाया गया है। देवरा, जो पहले तस्करी में शामिल था, बाद में इस अपराध से खुद को दूर कर लेता है, लेकिन भैरा इससे बाहर नहीं निकल पाता। कहानी में देवरा के बेटे वारा की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, जो अपने पिता के दुश्मनों से हाथ मिलाता है, और इसी संघर्ष को फिल्म के दूसरे हिस्से में दिखाया जाएगा।
फिल्म का निर्देशन कमजोर कहानी के चलते प्रभावित करता नहीं दिखता। निर्देशक कोरटाला शिवा ने किरदारों और कहानी को स्थापित करने में बहुत समय लिया है, जिससे फिल्म का पहला हिस्सा धीमा और दोहरावपूर्ण लगने लगता है। वहीं, एक्शन सीक्वेंस जरूर रोमांचक हैं, खासकर जूनियर एनटीआर और सैफ अली खान के बीच के दृश्य। सिनेमेटोग्राफी, विशेष रूप से समंदर और तस्करी से जुड़े दृश्य शानदार हैं, लेकिन वीएफएक्स औसत हैं और फिल्म की लंबाई इसे और थकाऊ बना देती है।
अभिनय के मामले में जूनियर एनटीआर ने डबल रोल में अच्छा काम किया है। उनका देवरा का किरदार दमदार है, लेकिन वारा का भोला और डरपोक चरित्र उतना प्रभावी नहीं बन पाया। सैफ अली खान की नकारात्मक भूमिका में प्रदर्शन प्रभावशाली है, मगर उनके किरदार को सही तरीके से विकसित नहीं किया गया। जान्हवी कपूर का स्क्रीन स्पेस बेहद सीमित है, और उनका किरदार सिर्फ ग्लैमर और रोमांस तक सीमित है। सहायक किरदारों में प्रकाश राज और मुरली शर्मा ने अच्छा काम किया है, जबकि जरीना वहाब और श्रीकांत भी अपने-अपने किरदारों में ठीक नजर आते हैं।
संगीत की बात करें तो फिल्म का सिर्फ एक गाना “धीरे धीरे” यादगार है, बाकी गाने खास प्रभाव नहीं डालते। क्लाइमैक्स में फिल्म को अधूरे सवालों के साथ छोड़ा गया है, जो कि अगले पार्ट में सुलझेंगे।
कुल मिलाकर, ‘देवरा: पार्ट 1’ की कहानी कमजोर है, लेकिन एक्शन, सिनेमेटोग्राफी और परफॉर्मेंस अच्छे हैं। फिल्म का फर्स्ट हाफ धीमा और खिंचाव वाला है, जबकि सेकंड हाफ एक्शन और इमोशन से भरा हुआ है।